खुद को दवा श्रेणी में क्‍यों नहीं रखना चाहते च‍िकित्‍सा उपकरण निर्माता

खुद को दवा श्रेणी में क्‍यों नहीं रखना चाहते च‍िकित्‍सा उपकरण निर्माता

सेहतराग टीम

क्‍या भविष्‍य में थर्मामीटर, नेबुलाइजर, ग्‍लूकोमीटर एवं इसी तरह के अन्‍य च‍िकित्‍सा उपकरण महंगे हो जाएंगे? इन उपकरणों के निर्माताओं की मानें तो सरकार इसी दिशा में आगे बढ़ रही है। हालांकि दूसरी ओर सरकारी सूत्र कहते हैं कि सरकार इन उपकरणों की कीमतों पर नियंत्रण की तैयारी में हैं और इसलिए उसने इन उपकरणों को औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के दायरे में रख दिया है। हाल ही में सरकार ने इन उपकरणों को दवा की श्रेणी में डालकर नियम को अधिसूचित कर दिया है। सरकार के इस कदम को उपकरण निर्माता कंपनियों के संगठन ने दिल्‍ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायाधीश सी हरिशंकर की बेंच ने च‍िकित्‍सा उपकरणों को औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम में शामिल करने के मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

अदालत ने स्वास्थ्य मंत्रालय को नोटिस जारी कर मामले की अगली सुनवाई के पहले यानी 11 दिसंबर तक अपना जवाब दने के लिए कहा है। वहीं व्यापारी संघ ने कहा कि ये उपकरण दवा के दायरे में नहीं आते हैं इसलिए इन्हें इस दायरे में लाना मनमाना फैसला होगा। अधिवक्ता हर्ष कुमार, भाग्य यादव और आदित्य राज ने दायर याचिका में कहा कि सरकार के इस कदम से उपकरणों के आयातकों, व्यापारियों और निर्माताओं पर बहुत बोझ पड़ेगा और कहीं न कहीं इसका असर मरीजों पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इन उपकरणों को दवा में शामिल करने से इनकी कीमतें भी बढ़ेंगी, जिसके चलते समाज के बड़े वर्ग के लिए इन्हें खरीदना मुश्किल होगा।

दूसरी ओर सरकारी सूत्र बता रहे हैं कि इन उपकरणों की कीमतें तय करने में कंपनियां मनमानी कर रही हैं। एक ही तरह के उपकरणों की दो अलग-अलग कंपन‍ियों की कीमतों में जमीन आसमान का फर्क है। इसलिए सरकार ने इन उपकरणों को दवा अधिनियम के दायरे में ला दिया है ताकि अब दवा मूल्‍य नियंत्रण की तरह इन उपकरणों की कीमतों को भी जरूरत पड़ने पर नियं‍त्रित किया जा सके।

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